लोक निर्माण विभाग,सडक़ सुधार के साथ,दोषियों को दंड भी जरूरी हैं, विभाग सड़कों की दुर्दशा से आहत हैं,लेक़िन प्रसाशनिक कसावट नहीँ होने से बहुत कमज़ोर हो गया हैं मंत्रीजी के तकनीकि सलाहकार मंत्री को तकनीकी सलाह की जगह अपने मित्रों और रिश्तेदारों को एडजेस्ट करने में लगें हैं, विभाग तकनीक के विरुद्ध मैनजर ओऱ कटमनी एजेंट से भरता जा रहा हैं, जानकारियां ओऱ बैठक के नाम पर बारबार बुलाओ,बाद में रगड़ो,तकनीकी काम के लिये समय ओऱ साईट विज़िट ज़रूरी हैं, D.P.R ओऱ डिज़ाइन फर्ज़ी हैं, कंसल्टेंसी 5-7 हजार की हाजरी वाले लड़के रखती हैं जो अनुभवहीन होते हैं सामाजिक और भौगोलिक सर्वेक्षण की परख नहीँ होने से ? जहाँ सिमेंट कंक्रीट की सड़क होनी चाहिये वहाँ डामर की सड़क बनती हैं जहाँ पानी का भराव होता वहाँ पानी की निकासी के नाले नलियां पुल पुलियों का निर्माण होना चाहिये लेक़िन ऐसा होता नहीँ हैं यदि ठेकेदार राजनीति रसूख़ रखता हैं या धनबल के दम्भ पर D.P.R. रिवाइज हो जाता हैं नहीँ तो शेडूल के आईटम साम्रगी धकमपेल कर काम करके निकल जाता हैं या अधिकारी ने सहयोग नहीँ किया तो फसकर रह जाता हैं, रिस्क-कास्ट पर विभाग अपने चहेतों को अधिकदर पर पहले ठेकेदार के काम को दूसरे को भुगतान कर एडजस्ट कर लेते हैं, प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवालजी के जाने के बाद विभाग का तकनीकी पक्ष
कमज़ोर हो गया हैं या उनको भी कंबल ओढ़कर घी पीने की आदत लग गयी हैं,
प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव कोई कामाल नहीँ दिखा पाये हैं,,कमज़ोर सचिव नाम बढ़े और दर्शन छोटे,कमज़ोर प्रमुख अभियंता,मुख्यअभियंता, कार्यपालन यंत्री कमज़ोर, क्यों हो रहे हैं,? सहायक यंत्री उप यंत्री डिविजन ओऱ सब डिवीजन के बाबू ठेकेदारों के लिये काम करते हैं और जब भी विभाग का अधिकारी कोई कार्यवाही के लिये कहता बाबू बहाने ख़ोरी या कार्यवाही की जानकारी ठेकेदारों को बता देते हैं, ठेकेदारों को जानकारियां मिली कि उन्होंने अपनी राजनीतिक पहुँच या धन बल या डरा धमकाकर मामले को दबा देते हैं,
सनावद से खरगौन सड़क का रखरखाव दो मंडी करती थी CRF से पुल पुलियों का निर्माण हुआ, प्रभारी मुख्य अभियंता जी पी मेहरा थे बै-गैरत RDC ने 120 करोड़ ख़र्च कर दीये थे वर्ष 2015-16 इंदौर जौंन ओऱ खरगौन में रिकॉर्ड देखा जा सकता हैं,
बाबरीघाट से सिवनीमालवा, 10 वर्ष में 3 बार ओऱ बैतूल से खंडाला बरसाली MDR से फ़िर CRF से काम हुआ मंत्री जी पता करिये चोरी हुई हैं या डाका डाला गया था,
दामाद से परिवार चलता हैं विभाग नहीँ ओऱ दलाल से व्यक्ति बढ़ सकता हैं पर विभाग नहीँ,
पुल 50 वर्ष सीमेंट कंक्रीट सडक़ 25 साल ओऱ डामर की सड़क 15 साल,
सरकार का खज़ाना ख़ाली हैं और अच्छी सड़क चाहिये,कैसे सम्भव,उधार का चंचन घिस मेरे लल्लू
? वक़्त का नज़ाकत ओऱ ख़राब सड़कों की महामारी में जाँच ओऱ सुधार दोनों ज़रूरी हैं, साथ मे प्रसाशनिक कसावट के लिए तकनीकी सतर्कता ओऱ सचिव/प्रमुख अभियंता अखिलेश अग्रवाल सीनियर मुख्य अभियंता नरेंद्र कुमार को प्रमुख अभियंता का दायित्व सौपकर विभाग को आगे बढ़ाना चाहिये, इनके बिना विभाग में सड़क सुधार में फुर्ती ओऱ सख़्ती सम्भव नहीँ हैं, यही तिकड़ी विभाग की साख बचा सकती हैं वरना जैसे धूप का प्रभाव बढ़ेगा,सड़कों की एयर बाहर आते ही सड़के अपना मुंह खोलकर बिखर जायेंगी, वर्ष 2014 से अक्टूबर 2019 तक जांच में सड़क निर्माण,रिन्यूवल, ओऱ पेज़रिपेयर मरम्मत को शामिल किया जाये, उम्मीद हैं उक्त अधिकारी का हौसला हैं की वे अपने समय की निर्मित सड़को की जांच अपने विरुद्ध भी कर सकते/करा भी सकते हैं,